थे मदिरा के मृत-मूक घड़े, थे मूर्ति सदृश मधुपात्र खड़े, थे जड़वत् प्याले भूमि पड़े, जादू के हाथों से छूकर मैंने इनमें जीवन डाला।
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मैं मधुशाला की मधुबाला! 8 थे मदिरा के मृत-मूक घड़े, थे मूर्ति सदृश मधुपात्र खड़े, थे जड़वत प्याले भूमि पड़े, जादू के हाथों से छूकर मैंने इनमें जीवन डाला।
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हालाकि ज्यादातर अशाब्दिक संप्रेक्षण अनियंत्रित संकेतों पर आधारित हैं, जो कि संस्कृतियों के अनुसार पृथक-पृथक हैं, ज्यादातर हिस्सा कुछ हद तक मूर्ति सदृश (आइकॉनिक) है एवं वैश्विक रूप से समझा जा सकता है.
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हालाकि ज्यादातर अशाब्दिक संप्रेक्षण अनियंत्रित संकेतों पर आधारित हैं, जो कि संस्कृतियों के अनुसार पृथक-पृथक हैं, ज्यादातर हिस्सा कुछ हद तक मूर्ति सदृश (आइकॉनिक) है एवं वैश्विक रूप से समझा जा सकता है.